दिल्ली मेट्रो ने गोल्डन लाइन की सबसे लंबी 2.65 किमी टनल की खुदाई की पूरी

DMRC: मेट्रो के फेज-4 के काम के दौरान DMRC ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। फेज-4 में तुगलकाबाद से एरोसिटी के बीच बन रही मेट्रो की नई गोल्डन लाइन पर सबसे लंबी मेट्रो टनल की खुदाई का काम DMRC ने पूरा कर लिया है। तुगलकाबाद एयरफोर्स स्टेशन के पास स्थित लॉन्चिंग शाफ्ट से मां आनंदमयी मार्ग के बीच यह टनल बनाई गई है। बुधवार सुबह मां आनंदमयी मार्ग के पास स्थित मेट्रो की कंस्ट्रक्शन साइट पर टनल की खुदाई कर रही टनल बोरिंग मशीन 'अमृत' दीवार तोड़कर बाहर निकली। इस दौरान DMRC के डायरेक्टर समेत दिल्ली मेट्रो के कई अन्य सीनियर अधिकारी भी मौजूद रहे।

तुगलकाबाद एयरफोर्स स्टेशन से मां आनंदमयी मार्ग तक की टनल
DMRC के प्रधान कार्यकारी निदेशक ने बताया कि तुगलकाबाद एयरफोर्स स्टेशन के पास बने लॉन्चिंग शाफ्ट से मां आनंदमयी मार्ग के बीच 2.65 किमी लंबी टनल की खुदाई का काम पूरा करने के बाद बुधवार को टनल बोरिंग मशीन (TBM) का ब्रेक थ्रू हासिल किया गया। इतनी लंबी टनल की खुदाई के लिए 105 मीटर लंबी TBM का इस्तेमाल किया गया था। UP और DOWN, दोनों लाइनों पर एक दूसरे के समानांतर गोलाकार सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से एक टनल बनकर तैयार हो गई है जबकि दूसरी जनवरी तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है। टनल के निर्माण का जिम्मा मेसर्स एफकॉन्स लिमिटेड को सौंपा गया है।

16 मीटर गहरी सुरंग, 1894 रिंग्स से होगा तैयार
यह टनल जमीन से औसतन 16 मीटर की गहराई पर बनाई गई है। इसके अंदरूनी हिस्से में पहले से बनकर तैयार हुए 1894 रिंग्स लगाए जाएंगे। टनल का अंदरूनी व्यास 5.8 मीटर होगा। इस टनल के निर्माण के दौरान DMRC को कई बड़ी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। इसमें सीवर लाइन को रीलोकट करने और कठोर चट्टानी परतों से होकर गुजरने जैसी चुनौतियां भी शामिल थीं। सुरंग का निर्माण अर्थ प्रेशर बैलेंसिंग मेथड जैसी बेहद उन्नत और स्थापित तकनीक के जरिए किया गया, जिसमें प्री कास्ट टनल रिंग से बनी कंक्रीट की लाइनिंग का इस्तेमाल भी शामिल है। ये टनल रिंग्स मुंडका में स्थापित पूरी तरह से मशीनीकृत कास्टिंग यार्ड में तैयार किए गए थे। कंक्रीट के इन सेगमेंट्स को जल्दी मजबूती प्रदान करने के लिए स्टीम क्योरिंग सिस्टम का भी उपयोग किया गया था।

फेज-4 में सावधानी से टनल निर्माण
मौजूदा बिल्डिंगों के नीचे से टनल बनाते वक्त पूरी सावधानी के साथ सभी आवश्यक सुरक्षा मानकों को अपनाते हुए निर्माण कार्य किया गया। आस-पास की बिल्डिंगों पर लगाए गए अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों की मदद से हर जमीनी गतिविधि पर बारीक नजर रखी गई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि TBM के चलने से हो रहे वाइब्रेशन की वजह से किसी भी स्ट्रक्चर को कोई नुकसान न पहुंचे। फेज-4 में अब तक मंजूर किए गए कॉरिडोर्स का 40.109 किमी लंबा हिस्सा भूमिगत होगा। जहां तक एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर का सवाल है, तो इसका 19.343 किमी लंबा हिस्सा अंडरग्राउंड होगा।