गाजीपुर के एक नाले में गिरकर हुई महिला और उसके तीन साल के बेटे की मौत पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी, डीडीए और दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। एमसीडी और डीडीए के रुख से नाराज हाई कोर्ट ने कहा कि आपको स्थिति की गंभीरता समझने के लिए और कितनी मौतें चाहिए। किसी की जान गई है और आप लोग जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने में लगे हैं। जनहित याचिका पर सुनवाई करते कोर्ट ने एमसीडी को चेताया कि अगर अब भी अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रहे तो आपके अधिकारियों का सस्पेंड करने का आदेश देंगे। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि वह मामले में गहनता से जांच कर एक डिटेल रिपोर्ट दायर करें। बेंच ने साफ किया कि वह यह तय नहीं कर रही है कि जिस इलाके में मौतें हुईं, वह एमसीडी या डीडीए के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं। यह पुलिस जांच का मामला है, लेकिन दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का अपराध जोड़ा जाना चाहिए।
साउथ जोन के डिप्टी कमिश्नर को आदेश दिया कि संबंधित नाले और इसके आसपास से कचरा सफाया किया जाए। बैरिकेड जरूरी साइन बोर्ड के साथ लगाए जाएं, ताकि फिर से ऐसा कोई हादसा न होने पाए। कोर्ट ने डीडीए को भी मामले में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 22 अगस्त की तारीख तय कर दी। अथॉरिटीज को इसके लिए सिर्फ एक हफ्ते का समय मिला है।
एमसीडी को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने पूछा कि आपको यह नाला पिछले साल अप्रैल में मिला था और तब से लेकर आज तक इसको देखने से लगता है, जैसे यहां कभी कोई सफाई नहीं हुई हो। आपने ऐसे ठेकेदार को काम क्यों दे रखा है, जो अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर रहा है। डीडीए ने हाई कोर्ट में दावा किया कि उसने अपने हिस्से के नाले को आरसीसी स्लैब से ढक रखा है, जिन्हें नाले की सफाई के दौरान हटाया जाता है। डीडीए ने माना कि शव जहां मिले, वह उसके हिस्से का नाला था, लेकिन जहां हादसा हुआ, वह हिस्सा एमसीडी के एरिया में आता है। एमसीडी इस बात पर अड़ी कि शव डीडीए के हिस्से वाले नाले से मिले थे। एमसीडी और डीडीए को अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश होते देख हाई कोर्ट नाराज हो उठा। कोर्ट ने कहा कि हालात की गंभीरता समझने के लिए आपको और कितनी मौतें चाहिए। घटना के बाद भी नाले के आसपास न सफाई हुई, न बैरिकेडिंग। दोबारा बारिश आई तो हादसा फिर हो सकता है। वहीं दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि पीड़ित जलभराव के कारण नाले में जहां गिरे, वहां से तकरीबन 150 मीटर दूर पाए गए। हाई कोर्ट ने पुलिस जांच पर नाराज होते हुए कहा कि पुलिस सिर्फ निगम अधिकारियों को नोटिस भेज रही है और फाइलों को जब्त करने या अधिकारियों से पूछताछ करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।