नई दिल्ली। बिहार में इसको कहते हैं नर्भसा जाना। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति अपना लक्ष्य के करीब होते हुए उसे हासिल नहीं कर पाता है। ऐसा ही इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के साथ पेश आया। कांग्रेस तो 100 सीटें भी हासिल नहीं कर पाई और 99 पर पहुंचकर नर्वस नाइंटीज का शिकार हो गई। वहीं बीजेपी इसको लेकर नर्वस दिखी कि उसे अकेले बहुमत नहीं पाया। मंगलवार को मतगणना के दिन बीजेपी की टैली 240 से 245 के बीच हिचकोले खाती रही। आखिरकार बीजेपी अपने दम पर उतनी सीटें हासिल नहीं कर सकी कि वह अकेले सरकार बना सके।
आपने कई बार देखा-सुना होगा कि मैच के दौरान जब बल्लेबाज 90 रनों के स्कोर को पार कर लेता है, तो सबकी नजरें उसी पर टिक जाती है। आखिर आगे क्या होगा। क्या वह शतक पूरा कर पाएगा। दरअसल बल्लेबार कई बार परफॉर्मेंस के इस दबाव में रहता है और 90 से 100 रन पूरा करते करते वो आउट हो जाता है। इसी को नर्वस नाइंटीज कहते है।
2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार देश के पीएम बने तो कांग्रेस मात्र 44 सीटों पर सिमट गई थी। स्थिति ऐसी हो गई कि कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा था, इसके बाद 2019 में भी कांग्रेस के लिए स्थिति कमोबेश एक जैसी ही बनी रही। इस चुनाव में पार्टी 52 सीटें जीत पाई। यानी कि 2 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए स्थिति नहीं बदली। लिहाजा इस बार कांग्रेस के लिए करो या मरो जैसी स्थिति थी और उसने इस बार 99 सीट जीत कर अपने को मजबूत किया।