इंदौर । लोकसभा चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा मार्जिन की जीत और नोटा को सर्वाधिक वोट का रिकार्ड बना। इंदौर में कांग्रेस ने नोटा का प्रचार किया, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस को मिले तीन लाख वोट भाजपा व अन्य उम्मीदवारों की तरफ शिफ्ट हुए, यानि नोटा को उतने वोट इंदौर में नहीं मिले, जितना कांग्रेस का परंपरागत वोटबैंक यहां है। कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार की नाम वापसी के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी नेे कहा था कि इंदौर में कांग्रेस किसी अन्य उम्मीदवार को समर्थन नहीं देगी। कांग्रेस की विचारधार से जुड़े वोटर नोटा को वोट दे सकते है।
कांग्रेस ने इसे लेकर रैलियां भी निकाली। इसका असर ये यह रहा कि 2.18 लाख लोगों ने नोटा का विकल्प चुना। इनमें वे वोटर शामिल थे जो कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े है लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में 5.20 लाख वोट कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी को मिले थे, यानि कांग्रेस के खाते में गए तीन लाख वोट इस बार चुनाव में भाजपा या दूसरे उम्मीदवारों को मिले। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि कांग्रेस नोटा को लेकर और माहौल बनाती तो नोटा का वोट शेयर और ज्यादा होता। पिछले लोकसभा चुनाव मेें भाजपा का वोट शेयर 65 प्रतिशत था, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 32 प्रतिशत रहा था। इस बार नोटा सबसे ज्यादा मुस्लिम बहुल्य क्षेत्रों से डाला गया। पांच और एक नंबर विधानसभा सीट के खजराना, चंदन नगर क्षेत्र से थोकबंद वोट नोटा को मिले। 100 से ज्यादा बूथों पर भाजपा उम्मीदवार लालवानी से ज्यादा वोट नोटा को मिले।