मध्यप्रदेश में सभी सरकारी स्कूल 18 जून को खुल गए, लेकिन जबलपुर के कई प्राइवेट स्कूलों के दरवाजे पर अब तक ताले ही लटके हैं। दरअसल, जिला प्रशासन की स्कूल माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद स्कूल संचालक विरोध करते हुए स्कूल नहीं खोल रहे हैं। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने सरकारी आदेश को नहीं माना। स्कूलों की मनमानी के खिलाफ पैरेंट्स सड़क पर उतर गए हैं। इसके बाद जबलपुर कलेक्टर ने स्कूल संचालकों के साथ मीटिंग भी की और सरकारी आदेश के बावजूद स्कूल नहीं खोलने की वजह जानी। जबलपुर में अभिवाभकों ने कलेक्टर कार्यालय के बाद प्रदर्शन किया था। अभिभावकों का कहना था कि 18 जून को ही सरकारी आदेश के बाद सभी स्कूलों को खोल दिया गया है. तो आखिर ये स्कूल क्यों नहीं खोले गए हैं। इसके बाद कलेक्टर से मीटिंग के बाद स्कूल संचालकों ने कहा कि वह सिर्फ ज्यादा गर्मी के कारण स्कूलों को नहीं खोला गया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गुरुवार से स्कूल में एक बार फिर क्लासेस शुरू हो जाएगी।
पैरेंट्स एसोसिएशन का विरोध प्रदर्शन
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ पैरेंट्स एसोसिएशन ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर स्कूल माफिया के खिलाफ प्रदर्शन किया। पैरेंट्स के साथ कुछ बच्चे भी विरोध करते हुए नजर आए। इसके बाद जबलपुर कलेक्ट्रेट ने सभी निजी स्कूल संचालकों बुलाया और उनसे स्कूल नहीं खोलने की वजह जानना चाहिए थी। बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि जिला प्रशासन ने जो कार्रवाई की थी उससे स्कूल माफिया के चंगुल से उनको निजात मिली है। समय पर स्कूल नहीं खुलने पर बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। बता दें कि, अभिभावकों ने प्रदर्शन करते हुए कहा था कि अगर समय पर स्कूल नहीं खोले गए तो बच्चे ही स्कूल में ताला लगा देंगे। जबलपुर कलेक्टर ने करीब 22 स्कूलों के खिलाफ मनमानी फीस वसूलने, बुक्स वेंडर से सांठगांठ और महंगे रेट पर ड्रेस-किताबें खरीदने के मामले में कार्रवाई की थी। दोषी स्कूल संचालकों के खिलाफ FIR हुईं और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। जिला प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में अब स्कूल संचालक सरकार के आदेश के बाद भी स्कूल नहीं खोल रहे हैं।
बीजेपी विधायक की चेतावनी
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को लेकर बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी ने चेतावनी दी है। उनका कहना है कि प्रदेश के मुखिया सीएम मोहन यादव ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस बार स्कूल बच्चों के अभिभावक और बच्चों को लेकर किसी भी तरह की माफियागिरी ना करें। लेकिन उसके बाद भी स्कूलों ने मनमानी करते हुए फीस बढ़ाई और बुक्स वेंडर के साथ सांठगांठ करते हुए बच्चों को महंगी बुक्स खरीदने पर मजबूर भी किया। जब प्रशासन ने कार्रवाई की तो कई स्कूल के प्रिंसिपल और संचालकों को जेल की हवा खानी पड़ी, लेकिन उसके बाद अब स्कूल वाले बदले की नीयत से स्कूल नहीं खोल रहे हैं। इसका सीधा खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है, उनकी पढ़ाई लेट हो रही है। विधायक ने कहा कि स्कूल संचालकों की ये मनमानी सरकार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगी और इसको लेकर सख्ती से स्कूलों के प्रारंभ कराया जाएगा।