भोपाल । मप्र कर्मचारी चयन मंडल बेरोजगार युवाओं के लिए नासूर बनता जा रहा है। इसकी वजह है न तो वह समय पर भर्ती परीक्षाएं करा पता है और अगर परीक्षा करा लेता है तो फिर परिणाम घोषित करने में भी यही हाल रहते हैं। मंडल की कार्य प्रणाली इससे ही समझी जा सकती है कि इस साल कर्मचारी चयन मंडल ने कुल 12 परीक्षाओं का कैलेंडर जारी किया था। जिसमें 3 प्रवेश परीक्षा और 9 भर्ती परीक्षाएं शामिल हैं। अब इस साल के छह माह निकल गए हैं, लेकिन तारीखों की घोषणा अब तक मंडल नहीं कर सका है। इसकी वजह से अब संभव नहीं लग रहा है कि मंडल इस साल कोई परीक्षा आयोजित कर पाएगा। यह मामला पहला नहीं है, बल्कि प्रदेश में कभी भी भर्ती परीक्षाएं न तो समय पर हो पाती हैं और न ही समय पर उनके परिणाम जारी किए जाते हैं।
छह माह निकले पर परीक्षा की तारीखों का एलान नहीं
जो परीक्षा परिणाम जारी होते भी हैं, तो वे विवादों में आ जाते हैं, जिसकी वजह से भी मंडल की लगातार फजीहत होती है। कई परीक्षाओं के परिणाम तो इतने विवादों में आ चुके हैं, कि उनके परिणाम दोबारा से तक जारी करने पड़े हैं। इससे परीक्षा की तैयारी कर रहे परीक्षार्थी अब ओवरएज होने लगे हैं। मप्र कर्मचारी चयन मंडल द्वारा पिछले पांच साल में 21 भर्ती परीक्षाओं का आयोजन किया गया। इन भर्ती परीक्षाओं में 70 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए हैं।
इस परीक्षा का दोबारा जारी करना पड़ा परिणाम
2023 में एक भर्ती परीक्षा का परिणाम दोबारा जारी करना पड़ा। समूह-1 उप समूह-1 के अंतर्गत वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, एवं वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी पदों की भर्ती के लिए संयुक्त भर्ती परीक्षा-2023, समूह-2 उप समूह-1 के अंतर्गत ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं अन्य समकक्ष पदों की भर्ती के लिए संयुक्त भर्ती परीक्षा का पहला परिणाम 30 जनवरी को जारी हुआ था, फिर दोबारा 2 फरवरी को परीक्षा परिणाम जारी हुआ। असी तरह से 2022 तीन भर्ती परीक्षाओं के परिणाम दोबारा जारी करने पड़े थे, जिनमें उपयंत्री, मानचित्रकार, समयपाल एवं समकक्ष पदों की भर्ती के लिए संयुक्त भर्ती परीक्षा 2022 का पहला परीक्षा परिणाम 10 फरवरी को जारी हुआ। फिर फाइनल परीक्षा परिणाम 21 फरवरी को जारी हुआ।