सुधीर गोरे
इंदौर। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 में अव्वल रहे इंदौर ने बीते दिनों चार नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (एक्यूएम) स्टेशन्स स्थापित करते हुए वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार कर लिया है।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक, “धरती पर स्वच्छता और जल प्रबंधन में अव्वल इंदौर शहर वायु गुणवत्ता में सुधार में भी नंबर वन हैं। अब नए मॉनिटरिंग स्टेशन्स का डाटा पूरे शहर की सही तस्वीर पेश कर रहा है और यह शहर की एयर क्वालिटी सुरक्षित स्तर तक सुधारने में वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के मदद करेगा।” निगमायुक्त शिवम वर्मा ने इंदौर हाल के वर्षों में स्वच्छ हवा के लिए किए जा रहे ऐसे प्रयासों और उपलब्धियों को जरूरी और उत्साहजनक बताया है।
अब बेहतर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट
इंदौर शहर के विस्तार और विकास के साथ-साथ सात उन्नत वायु गुणवत्ता निगरानी केद्रों का जुड़ना नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। डब्ल्यूआरआई इंडिया के डायरेक्टर, एयर क्वालिटी डॉ. प्रकाश दोराईस्वामी के अनुसार, “इंदौर के जिन इलाको में एयर क्वालिटी डाटा इकट्ठा नहीं किया जा रहा था वहां भी अब लगातार मॉनिटरिंग की सुविधाएं मिलने से शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार से जुड़ी प्रमाण-आधारित नीतियां लागू करने में आसानी होगी।"
स्वच्छ हवा के लिए सही आंकड़े जरूरी
नगर निगम के इन चार नए स्टेशनों के अलावा पहले से एक स्टेशन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का और साइंटिफिक रिसर्च के लिए क्लीन एयर कैटलिस्ट के तीन स्टेशंस हैं। यानी अब कुल आठ एक्यूएम स्टेशंस हैं। शहर की एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम हैं और आने वाले वर्षों के स्वच्छ वायु सर्वेक्षणों में एक बार फिर सिरमौर बने रहने में इनसे मदद मिलेगी। अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन का कहना है, “हवा की स्वच्छता के लिए सही आंकड़े जरूरी है, इनसे हमें वायु गुणवत्ता सुधार के लिए फैसले लेने में मदद मिलती है।”
स्वच्छ हवा के लिए समाधान लागू करने में मिलेगी मदद
क्लीन एयर कैटलिस्ट के प्रोजेक्ट लीडर कौशिक राज हजारिका के मुताबिक, "इंदौर में जरूरी एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग डाटा नियमित रूप से मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। अब हमें नगर निगम के साथ एयर क्वालिटी सुधार के लिए आवश्यक समाधानों को लागू करने के लिए”” विभिन्न संस्थाओं और नागरिक संगठनों के साथ मिलकर काम करने में आसानी होगी।”
ऐसे बढ़ा एक्यूएम इन्फ्रास्ट्रक्चर
2023 से पहले भी चार स्टेशन थे लेकिन एक समय ऐसा आया जब सिर्फ छोटी ग्वालटोली स्थित एकमात्र स्टेशन एयर क्वालिटी डाटा दे रहा था, लेकिन इसके बाद दिसंबर 2023 में नगर निगम ने रीजनल पार्क, रेसीडेंसी एरिया, मेघदूत उपवन और एयरपोर्ट क्षेत्र में नए एक्यूएम स्टेशन स्थापित करते हुए वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए पर्याप्त सुविधाएं जोड़ ली हैं और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर यह डाटा देखा जा सकता है। क्लीन एयर कैटलिस्ट ने इंदौर की वायु गुणवत्ता और प्रदूषण संबंधी शोध के लिए मोती तबेला, बिचौली हप्सी और मूसाखेड़ी में तीन सतत् निगरानी केंद्र स्थापित किए हैं। एयरपोर्ट स्टेशन के अलावा बाकी सात केंद्रों से प्रदूषण के स्तर संबंधी जरूरी आंकड़े मिलने लगे हैं और ये अब वायु गुणवत्ता सुघार संबंधी नीतियों को लागू करने में खासे मददगार होंगे।
ज्यादा डाटा मिलने से नए इलाकों में होगी मॉनिटरिंग
शहर में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशंस की संख्या करीब दो गुना बढ़ने से कुछ नए इलाकों में वायु गुणवत्ता की मॉनिटरिंग होने लगी है। मसलन् कम आमदनी वाली आबादी के क्षेत्र, जहां पहले यह सुविधा नहीं थी। डाटा कलेक्शन 24 घंटे लगातार होने लगा, क्योंकि पुराने कुछ मॉनिटरों में यह सुविधा नहीं थी। नए मॉनिटरों से वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले मौसम संबंधी ट्रेंड्स जैसे- हवा की दिशा और गति, तापमान, हवा में नमी, और वायु के दबाव पर नजर रखना भी आसान हुआ। हवा को खराब करने वाले ब्लैक कार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों की निगरानी भी संभव हुई। हवा को खराब करने वाले सूक्ष्म कण पीएम 2.5 की लगातार निगरानी अब होने लगी है।
स्वच्छ वायु के लिए जरूरी है प्रदूषण स्रोतों को जानना
दुनियाभर की रिसर्च बताती है कि एक ही शहर के भीतर अलग-अलग इलाकों में वायु प्रदूषण के स्तर में बड़े पैमाने पर अंतर पाया जाता है। इसी कारण वायु प्रदूषण को स्रोतों को जानने के लिए लोकल मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है। इनसे पता चलता है कि लोगों को वे किस तरह प्रभावित कर रहे हैं। साथ ही वायु प्रदूषण कम करने के लिए कहां, किन उपायों के लिए कौन सी नीतियां लागु करने की जरूरत है। क्लीन एयर कैटलिस्ट के वरिष्ठ वायु गुणवत्ता वैज्ञानिकर डॉ. श्रीकांत वाकाचेरला के मुताबिक, “नए रियल-टाइम वायु प्रदूषण निगरानी स्टेशनों के जुड़ने से इंदौर में जगह-जगह और अलग-अलग समय पर वायु प्रदूषण स्तरों में भिन्नताओं के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी। साथ ही इससे हमें (1) वायु प्रदूषण खत्म करने के लिए सही जानकारियों पर आधारित नीति बनाने, (2) समाधानों और हस्तक्षेपों के आकलन, (3) जनजागरुकता बढ़ाने और (4) शहरी नियोजन आदि में भी मदद मिलेगी।"
नए एयर क्वालिटी मॉनिटर उन जगहों में लगे हैं जहां पहले वायु गुणवत्ता निगरानी नहीं हो पाती थी। जैसे इंदौर के दक्षिण और पूर्व में घनी आबादी वाले इलाके बगैर मॉनिटरिंग के अछूते रहते थे। 2023 से पहले की तुलना में अब शहरी, शहर की सीमा पर और कम आय वर्ग वाले इलाके भी वायु गुणवत्ता निगरानी के दायरे में हैं।