मुजफ्फरनगर पुलिस के भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के फैसले का केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोगी चिराग पासवान ने विरोध किया। उन्होंने मुजफ्फरनगर पुलिस को भी सलाह दी कि वे जाति या धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार के विभाजन का सहयोग न करें। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोगी चिराग पासवान ने मुजफ्फरनगर पुलिस की सलाह का स्पष्ट रूप से विरोध किया है, जिसमें भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि वह जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभाजन का बिल्कुल भी समर्थन या प्रोत्साहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि समाज में अमीर और गरीब दो वर्ग हैं। विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग दोनों श्रेणियों में आते हैं। चिराग पासवान ने कहा कि हमें इन दो वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है। गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुस्लिम जैसे समाज के सभी वर्ग शामिल हैं। सभी वहां हैं। हमें उनके लिए काम करने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, "जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभाजन होता है, तो मैं इसका समर्थन या प्रोत्साहन बिल्कुल नहीं करता। मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है।" उन्होंने खुद को 21वीं सदी का शिक्षित युवा बताया, जिसकी लड़ाई जातिवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपने गृह राज्य बिहार के पिछड़ेपन के लिए मुख्य रूप से इन कारकों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि जातिवाद और सांप्रदायिकता ने बिहार को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि उनमें सार्वजनिक रूप से बोलने का साहस है, क्योंकि वह इन चीजों में विश्वास नहीं करते।
भाजपा के सहयोगी दल भी कर रहे इस फैसले की आलोचना
भाजपा के एक अन्य सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने भी पहले इस सलाह की आलोचना की थी। पुलिस का कहना है कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि 'कांवड़ियों' (भगवान शिव को पवित्र जल चढ़ाने के लिए मार्ग पर जाने वाले तीर्थयात्रियों) के बीच कोई भ्रम न हो और कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा न हो। कांग्रेस ने मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा दिए गए इस फैसले की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि फैसले के बाद पुलिस का कहना है कि यह स्वैच्छिक है। कांग्रेस ने इसे भारत की संस्कृति पर हमला बताया। उन्होंने आरोप लगाया है कि इसका उद्देश्य मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार को सामान्य बनाना है।