समंदर में चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए भारत के काउंटर प्लान से अब उसकी घबराहट सामने आने लगी है।
चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में सेना के वरिष्ठ अधिकारी को कोट करके कहा गया है कि अगर भारत उकसाता नहीं हो तो उसकी कोई दुश्मनी नहीं है।
वहीं इस रिपोर्ट में भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर और आगे के प्लान की भी विस्तार से चर्चा की गई है। भारतीय नौसेना के पास पहले दो विमानवाहक पो्त हैं।
आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत। वहीं भारत अब 40 हजार करोड़ की लागत से नया एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की तैयारी कर रहा है। इसका वजन 45 हजार टन होगा जो कि कच्चि के शिपयार्ड में बनाया जाएगा।
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए अब अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है।
भारत पहली बार हिंद महासागर में पट्रोलिंग के लिए इतने बड़े पैमाने में पोत उतार रहा है। बीजिंग के किसी एक्सपर्ट कोट करते हुए कहा गया है कि दुनियाभर में ज्यादातर देश अपने आप से एयरक्राफ्ट कैरियनर नहीं बना सकते।
भारत के पास अगर क्षमता है तो उसे नेवी की ताकत बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन अगर यह सब केवल चीन को टारगेट करने के लिए किया जा रहा है तो यह एक संकीर्ण सोच है।
एक्सपर्ट के हवाले से कहा गया कि चीन की नेशनल डिफेंस पॉलिसी रक्षात्मक है। अगर भारत चीन को उकसाता नहीं है तो चीन उसका दुश्मन नहीं है।
अपनी सफाई में चीन ने कहा कि हिंद महासाग में चीनी पीएलए की उपस्थिति भारत को धमकाने के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा, व्यापारिक सहयोग और मानवीय सहायता के लिए है जिसका लाभ भारत को भी मिलेगा।
चीन का कहना है कि वह लगातार सोमालिया और गल्फ ऑफ अडेन में अपने पोत को भेजता रहता है। अब तक चीन ने हिंद महासागर में अपना एयरक्राफ्ट कैरियर कभी नहीं उतारा।
बता दें कि भारत का नया युद्धपोत 28 जेट को उतार सकता है। इसमें राफेल विमान भी शामिल होंगे। वहीं चीन के पास अब तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए हैं।
उसे अपने फूजियान एयरक्राफ्ट कैरियर को जून 2022 में अपने बेड़े में शामिल किया था। यह 80 हजार टन का वजनी युद्धपोत है। बता दें कि भारत का नया विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की तरह ही होगा। अभी इसे तैयार करने में 8 से 10 साल का वक्त लगेगा।