साइबर वॉर की तैयारी में चीन? इन्फॉर्मेशन सपोर्ट फोर्स का गठन, ड्रैगन के मंसूबे पर सवाल…

चीन अपनी सैन्य ताकत को लगातार बढ़ाने में जुटा है।

इसी कड़ी में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की नई यूनिट इन्फॉर्मेशन सपोर्ट फोर्स की शुरुआत की।

उन्होंने कहा कि यह एक रणनीतिक यूनिट और दुनिया की सबसे बड़ी सेना का प्रमुख स्तंभ होगा। हालांकि, इससे साइबर वॉर का खतरा भी बढ़ सकता है।

मालूम हो कि जिनपिंग सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा, वह चीनी सेना के हाई कमान, केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) के भी प्रमुख हैं।

उन्होंने कहा कि सूचना सहायता बल (ISF) की स्थापना की जा रही है। यह मजबूत सेना के निर्माण की समग्र जरूरतों के लिहाज से सीपीसी और सीएमसी की ओर से लिया गया बड़ा निर्णय है।

सूचना सहायता बल को पीएलए के रणनीतिक समर्थन में खड़ा किया गया है, जिसे 2015 में अंतरिक्ष, साइबर, राजनीतिक और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध से निपटने के लिए स्थापित किया गया था।

इन्फॉर्मेशन सपोर्ट फोर्स की फाउंडिंग मीटिंग चीन की राजधानी बीजिंग में हुई। सीनियर आर्मी ऑफिसर बीयी इसके चीफ बनाए गए और ली वेई इसके पॉलिटिकल कमिश्नर नियुक्त हुए। इस मौके पर राष्ट्रपति जिनपिंग ने सैन्य बलों का झंडा यूनिट के नेताओं को सौंपा।

उन्होंने कहा कि इस फोर्स के गठन का फैसला चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और केंद्रीय सैन्य आयोग की ओर से लिया गया। इसका मकसद सैन्य गतिविधियों से जुड़ी ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं हासिल करना है, जिससे मिलिट्री को काफी हद तक सपोर्ट मिल पाएगा। 

सेंट्रल मिलिट्री कमीशन को रिपोर्ट करेगी नई यूनिट 
यह फोर्स सीधे तौर पर सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) को रिपोर्ट करेगी, जो कि चीन का सबसे अधिक पावरफुल डिफेंस ऑर्गनाइजेशन है।

चीनी सेना में सीएसी की हैसियत पीएलए या मिलिट्री से भी बढ़कर है। वैसे PLA के पास पहले से ही स्पेस एंड साइबरस्पेस रणनीतिक बल रहा है। बताया जा रहा है कि अब इससे जुड़े सैन्य अधिकारी भी नई यूनिट के लिए काम करेंगे। हालांकि, इस तरह का बदलाव कैसे होगा… इसे लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है।

नई सैन्य यूनिट की जानकारी ऐसे वक्त सामने आई है जब दक्षिण चीन सागर में शांति के लिए बीजिंग ने आसियान देशों के साथ मिलकर काम करने की बात कही है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि दक्षिण चीन सागर को शांति और सहयोग का सागर बनाने के लिए आचरण करना होगा। इसके बावजूद, चीन के सैन्य मंसूबे पर लगातार सवाल उठता रहा है। 

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