मध्यप्रदेश अपनी गौरवशाली परंपराओं को सहेजते हुए विकास और प्रगति के पथ पर अग्रसर – मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश अपनी गौरवशाली परंपराओं को सहेजते हुए विकास और प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर है। राज्य शासन द्वारा दशहरे पर शस्त्र-पूजन और दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा का आयोजन इस बात का प्रतीक है। प्रदेश की स्थापना दिवस पर परम्परागत मलखंब कला का प्रदर्शन भी इस भाव का प्रकटीकरण है। अतीत को सहेज कर समय के साथ चलने की यह विशेषता प्रदेश को विश्व में वैशिष्टय प्रदान करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए मध्यप्रदेश सदैव तत्पर है। यह प्रदेश के लिए गर्व और सौभाग्य का विषय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा धन्वंतरि जयंती पर देश को दी गई सौगातो में सर्वाधिक मध्यप्रदेश को प्राप्त हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी के कर-कमलों से 3 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय क्रमशः मंदसौर, नीमच और सिवनी का लोकार्पण हुआ है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं नए दौर में हैं, 20 से अधिक मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पतालों में जांच और इलाज सुविधा, मेडिकल और पैरामेडिकल स्टॉफ की बढ़ती संख्या, आरोग्य मंदिर और आयुर्वेद अस्पतालों ने जन सामान्य को बड़ा संबल प्रदान किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर लाल परेड ग्राउंड से प्रदेशवासियों को संबोधित कर रहे थे।

सैन्य व युद्ध उपकरणों पर केंद्रित प्रदर्शनी का किया अवलोकन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समरोह का ध्वजारोहण कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर राष्ट्रगान व मध्यप्रदेश गान प्रस्तुत किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सेना द्वारा लगाई गई सैन्य व युद्ध उपकरणों पर केंद्रित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री डॉ यादव के सम्मुख आर्मी बैंड द्वारा सुमधुर धुनों की प्रस्तुति दी गई। प्रदेश के राज्यीय खेल मलखंब का प्रदर्शन भी किया गया। कथक नृत्य के रूप में गणेश वंदना से सांस्कृतिक प्रस्तुतियां का क्रम आरंभ हुआ। 3 ईएमई सेंटर भोपाल के मिलिट्री बैंड द्वारा प्रस्तुत देश भक्ति गीतों की धुनों ने कार्यक्रम में उत्साह ,उमंग और जोश का संचार कर दिया।

मध्यप्रदेश ने विश्व को साहित्य और संगीत की अमूल्य विरासत सौंपी

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्थापना दिवस की प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह सौभाग्य का विषय है कि दीपोत्सव की शुभ बेला में मध्यप्रदेश का 69वां राज्योत्सव मनाया जा रहा है। बुंदेलखंड, बघेलखंड, निमाड़, मालवा और महाकौशल रूपी पांचो अंचलों ने प्रदेश को अविस्मरणीय इतिहास, अद्भुत कला, अनुपम संस्कृति, अद्वितीय परंपरा और अनंत सामर्थय का पंचामृत दिया है। धर्म-अध्यात्म और ज्ञान की त्रिवेणी, विंध्याचल और सतपुड़ा की गोद में विद्यमान मध्यप्रदेश ने विश्व को साहित्य और संगीत की अमूल्य विरासत सौंपी है। लोक संस्कृति और जनजातीयां प्रदेश का आधार हैं। यह भूमि भगवान श्रीराम के वनवास, भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा, सम्राट विक्रमादित्य के पराक्रम और सृजनशीलता की साक्षी रही है।

मध्यप्रदेश के खाते में है कई उपलब्धियां

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश ने कई उपलब्धियां अर्जित की है। यह देश की फूड बॉस्केट, सोयाबीन प्रदेश, हीरा प्रदेश, बिजली प्रदेश, जनजातियों का घर, बाघ प्रदेश और चीता स्टेट के नाम से विख्यात है। स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर और भोपाल ने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। किसान भाइयों के सामर्थ्य से प्रदेश ने 7 बार कृषि को कर्मण पुरस्कार जीता। प्रदेश के शरबती गेहूं, सोयाबीन और चिन्नौर चावल का कोई मुकाबला नहीं है। प्राकृतिक औषधि और श्रीअन्न के उत्पादन में भी प्रदेश अग्रणी है।

भारतीय सेना ने प्रत्येक मोर्चे पर अपनी दक्षता सिद्ध की

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारत विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जिसने मानवता के लिए सदैव अपनी सकारात्मक भूमिका निभाई है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीनों सेनाओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपनी दक्षता को सिद्ध कर भारत का मान बढ़ाया और देश की सीमाओं की रक्षा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत "जियो और जीने दो" के सिद्धांत को व्यवहार में लाते हुए सभी दिशाओं में प्रगति कर रहा है। केन्द्र एवं प्रदेश की डबल इंजन सरकार भी प्रत्येक प्रदेशवासी के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर, सांसद आलोक शर्मा, भोपाल महापौर श्रीमती मालती राय, विधायक भगवान दास सबनानी, विधायक रामेश्वर शर्मा, मुख्य सचिव अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव संस्कृति शिव शेखर शुक्ला तथा अन्य वरिष्ठ जनप्रतिनिधि व अधिकारी उपस्थित थे।

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