सूरज और चांद से सजे महाकाल, भस्म आरती में दर्शन के नियम में हुआ बदलाव

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का दिव्य शृंगार किया गया, जिसने भक्तों का मन मोह लिया। शनिवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे और मंदिर के पट भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा के पश्चात खोले गए।

बाबा महाकाल को सबसे पहले गर्म जल से स्नान करवा कर पंचामृत अभिषेक किया गया और फिर केसर युक्त जल अर्पित किया गया। इसके बाद भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल के मस्तक पर सूर्य, चंद्र, त्रिपुंड और डमरू का अलंकरण किया गया, जो अत्यंत आकर्षक था। महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई और उन्हें फूलों से सजाया गया। मंदिर के पुजारी पंडित  ने बताया कि यह विशेष शृंगार और भस्म अर्पण विधि से भक्तों को एक दिव्य अनुभव प्राप्त हुआ। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से भस्म आरती के दिव्य दर्शन किए और इस अलौकिक दृश्य का लाभ लिया। बाबा महाकाल के इस अद्भुत शृंगार और आरती में उनके निराकार से साकार स्वरूप का दर्शन कर भक्तों ने "जय श्री महाकाल" के जयघोष किए, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।

बदलेगा भस्म आरती में प्रवेश करने का तरीका

मंदिर समिति भस्म आरती में प्रवेश करने के लिए जल्द हाईटेक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन रिस्ट बैंड का उपयोग करने जा रही है। यह एक वायरलेस टेक्नोलॉजी बैंड है, जिसमे स्मार्ट लेबल में एनकोड किए गए डेटा को रीडर टूल की मदद से पढ़ा जाता है। इसके लिए बना एप, कम्प्यूटर, स्कैनर और प्रिंटर को एक हफ्ते के अंदर मंदिर में इंस्टाल किया जाएगा। इस हाईटेक बैंड में बारकोड स्कैनर के साथ-साथ श्रध्द्धालुओं के नाम, उम्र, पता, दिनांक और समय भी प्रिंट होगा। श्रद्धालु को ऑनलाइन या ऑफलाइन परमिशन के बाद मंदिर में प्रवेश करने से पहले काउंटर पर बारकोड स्कैन कर कलाई पर बांधने के लिए यह बैंड दिया जाएगा। श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश से लेकर भस्म आरती खत्म होने तक अपनी कलाई पर यह बैंड को बांधकर रखना होगा और अंतिम में निर्धारित काउंटर पर जमा करना होगा। अभी फिलहाल इस बैंड की टेस्टिंग चल रही है।

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