मध्यप्रदेश के शहडोल एक तरफ जिला प्रशासन जल गंगा संवर्धन अभियान चला कर जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार और पुनर्जीवन का काम कर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ जिले के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। आलाम ये है कि लोगों को सुबह चार बजे उठकर पानी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। हैरानी की बात तो यह है कि आज तक गांव में नल जल योजना तक नहीं पहुंच पाई है। लोग यहां पर पानी की उम्मीद प्रशासन की बजाय आसमानी पानी का करते हैं, यानी मानसून का इंतजार।
शहडोल जिले के बुढार जनपद का मामला
गांव में बारिश होने के बाद ही लोगों तक पानी पहुंच पा रहा है। प्रशासन ने इस गांव तक पानी पहुंचाने के लिए अभी तक कोई कार्य नहीं किया है। ये गांव शहडोल जिले के बुढार जनपद के साबो ग्राम पंचायत का है। यहां जिले के जनपद पंचायत बढुार के ग्राम पंचायत सबो सहित बिलटुकरी, बकहो, सिंधली समेत दूसरे आसपास के गांव का हाल तो साबो गांव से भी काफी बत्तर है, यहां पर लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है। यहां गांव में रह रहे लोगों को पानी के लिए सुबह चार बजे उठकर दूसरे गांव पानी के लिए जाना पड़ता है। काफी समय से ही लोग ऐसे ही अपना जीवन यापन यहां पर कर रहे हैं। गांव का जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि हैंडपंप और कुएं भी सूख गए हैं। साथ ही गांव में अभी तक नलजल योजना तक नहीं पहुंच पाई है। मगर इससे प्रशासन को शायद ही कोई फर्क पड़ता हो। इसको लेकर गांव के सरपंच का कहना है कि उनके गांव के पानी की समस्या काफी समय से बनी हुई है। अब तक नलजल योजना गांव तक नहीं पहुंच पाई है। उसके लिए उन्होंने काफी प्रयास किया, लेकिन सब कुछ विफल रहा। गांव में पानी की समस्या को लेकर जिला प्रशासन को काफी बार अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन उनकी तरफ से इसपर कोई कदम अभी तक नहीं उठाया गया। गांव के लोग इस पानी की समस्या से निजात पाने के लिए हर तरह का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने इसपर कोई कदम नहीं उठाया है।