भोपाल । विधानसभा-लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अब भाजपा का पूरा फोकस संगठन चुनाव पर है। भाजपा में संगठनात्मक बदलाव के लिए संगठन चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। फिलहाल बूथ स्तर पर भाजपा के सक्रिय सदस्यों को पदाधिकारी चुना जा रहा है। भाजपा के संगठन पर्व के तहत 14 नवंबर से बूथ कमेटी के चुनाव शुरू हो चुके हैं, जो 20 नवंबर तक चलेंगे।मंडल और जिलाध्यक्ष के चुनाव से पहले 22 नवंबर को सभी राज्यों के चुनाव प्रभारियों की दिल्ली में बैठक होने जा रही है, जिसमें अगले चरणों की तिथि तय की जाएगी। पार्टी नेताओं का यह भी आकलन है कि इस बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। चुनाव में भागीदारी के लिए भाजपा का सक्रिय सदस्य होना अनिवार्य हैं। संगठन ने इस बार सक्रिय सदस्यता में हर वर्ग को जोडऩे का संदेश दिया है। ऐसे लोग जो कि समाज हित में काम कर रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है। संगठन के चुनाव के जरिए भाजपा अपना ताकत दिखाने के लिए रणनीति बना रही है।
समर्थक-रिश्तेदारों को बैठाने से परहेज
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस पर भाजपा के संगठन चुनाव में विधायक-सांसदों पर कड़ी नजर है। स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बूथ, मंडल या जिलाध्यक्ष के चुनाव निष्पक्ष और सर्वसम्मति से होने चाहिए। विधायक या सांसद अपने समर्थक या रिश्तेदार को संगठन में बैठाने का प्रयास करें तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। भाजपा पीढ़ी परिवर्तन की रणनीति पर काम कर रही है। इसका सीधा आशय यही है कि कोई भी जनप्रतिनिधि संगठन को जेब में रखने यानी अपनी मर्जी से चलाने की कोशिश करेगा तो ऐसे प्रयास को विफल कर देना है।
नड्डा की कार्यशाला में बनेगी रणनीति
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में संगठन चुनाव को लेकर आयोजित कार्यशाला पार्टी के नेताओं ने एक ही संदेश दिया जाएगा कि पार्टी अपनी ताकत का एहसास करने के लिए तैयार रहे। जिला स्तर तक कार्यशालाएं कराकर भाजपा इस बार के संगठन चुनाव को और मजबूत बनाएगी। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार अगले 90 दिनों में भाजपा के जिला अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष में परिवर्तन को तय करने की रणनीति बनी है। इस कार्यशाला में भाजपा के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारियों और सभी प्रदेश अध्यक्षों सहित संगठन से जुड़े लगभग सवा सौ शीर्ष नेता शामिल होंगे।
जातीय समीकरण तय करेंगे जिलाध्यक्ष
भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की गतिविधियों ने गति पकड़ ली है। दिसंबर माह के अंत में जिलाध्यक्ष का चुनाव होना है। जिलाध्यक्ष पद के लिए अंचल के सभी जिलों में जोर अजमाइश शुरु हो गई है। जिलास्तर पर बूथ और मंडल के चुनाव होने के बाद प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व जिलाध्यक्षों के नाम पर विचार करेगा। यह तय माना जा रहा है कि भाजपा जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों में जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास करेगी। वहीं जिलों में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए बड़े नेताओं ने अपने खेमों से नाम छांटना शुरु कर दिए हैं।