नई दिल्ली। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार के विकास और राजनीति को लेकर कहा कि अमेरिका में बिहारी प्रवासी समुदाय के साथ ऑनलाइन बातचीत में उन्होंने राज्य की वर्तमान स्थिति, भविष्य की योजनाओं और जन सुराज पार्टी के एजेंडे पर चर्चा की।प्रशांत किशोर (पीके) ने कहा कि बिहार वाकई एक पिछड़ा राज्य है, जो कई समस्याओं से घिरा है। इसके सर्वांगीण विकास के लिए बड़े और ठोस प्रयास करने की जरुरत है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बिहार में हालात सुधारने को लेकर समाज को उम्मीद नहीं है। पीके ने अपनी प्राथमिकताओं पर बात करते हुए कहा कि यदि उनकी पार्टी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करती है, तो उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता स्कूली शिक्षा में सुधार करना होगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनकी सरकार शराबबंदी को खत्म करेगी और इससे मिलने वाले राजस्व को शिक्षा सुधार में खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि शराब से बैन हटाना और इससे मिलने वाले राजस्व का उपयोग शिक्षा में सुधार के लिए करना हमारी प्राथमिकताओं में रहेगा। प्रशांत ने जोर देकर कहा कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने जन सुराज के पिछले 2.5 सालों की कोशिशों का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे लोगों में एक नई उम्मीद जागी है। उन्होंने माना कि अभी ठोस राजनीतिक सफलता और सरकार बनाने में समय लगेगा।
बिहार ने जनसंख्या के मामले में जापान को भी पीछे छोड़ दिया
किशोर ने कहा कि यदि बिहार एक देश होता, तो जनसंख्या के लिहाज से यह दुनिया का 11वां सबसे बड़ा देश होता। उन्होंने कहा कि बिहार ने जनसंख्या के मामले में जापान को भी पीछे छोड़ दिया है। अमेरिका में रह रहे बिहारी लोगों से उन्होंने अपील की कि वे जन सुराज अभियान का समर्थन करें और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को पार्टी को वोट देने के लिए प्रेरित करें।हाल ही में बिहार में हुए उपचुनाव में जन सुराज पार्टी ने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। चार सीटों पर खड़े उम्मीदवारों में से केवल एक की जमानत बच सकी, जबकि बाकी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। इस पर पीके ने कहा कि यह शुरुआत है, और पार्टी को अपनी रणनीति और जमीनी स्तर पर ज्यादा काम करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करेगी और बिहार के विकास के लिए एक नई राजनीति का रास्ता बनाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि बिहार में लोगों की उम्मीदें वापस लौटें और राज्य को आगे बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।