भारत रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल, एलएनजी रीगैसिफिकेशन की बढ़ा रहा क्षमता

नई दिल्ली। भारत वैश्विक तेल और गैस उत्पादों के प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरने की संभावना है। जब से भारत अपनी रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल, एलएनजी रीगैसिफिकेशन और पाइपलाइन क्षमता को बढ़ा रहा है, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी देखी जा रही है। रिपोर्ट के मुताबकि वैश्विक तेल कीमतों में कमजोरी बनी रहने की संभावना है, जो भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि भारत कच्चे तेल की जरुरत का 80 फीसदी से ज्यादा आयात करता है। वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट से भारत को आयात बिल में भारी बचत हो सकती है।रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के तेल और गैस उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी की उम्मीद है, लेकिन यह निर्भर करेगा कि ओएनजीसी तय समय पर उत्पादन और नामांकन ब्लॉकों में गिरावट को कैसे कम करता है। भारत की एलएनजी पुनर्गैसीकरण क्षमता में चालू वित्त वर्ष 2025 में कम से कम 25 फीसदी की बढ़ोतरी की की संभावना है, जो भारत की वैश्विक एलएनजी अवशोषण क्षमता को और बढ़ाएगी।

वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट से भारत को आयात बिल में हो सकती है भारी बचत 
रिफाइनिंग क्षेत्र में भारत अपनी क्षमता में 9 फीसदी की वृद्धि करने की उम्मीद कर रहा है, जिससे प्रतिदिन 0.5 मिलियन बैरल की बढ़ोतरी हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का ऊर्जा संक्रमण तेज होगा और तेल और गैस कंपनियां अपने निवेश को इस क्षेत्र में शिफ्ट करेंगी। इसके अलावा पेट्रोकेमिकल्स से जुड़े रिफाइनरी ट्रांसफॉर्मेशन परियोजनाओं की शुरुआत की संभावना है।रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में कमी आई है, खासकर डीजल की मांग में और इसे आगे और कम होने की संभावना है। एचपीसीएल, बीपीसीएल और आईओसीएल को कमजोर तेल कीमतों से लाभ होने की उम्मीद है, जबकि ओएनजीसी को तेल कीमतों में गिरावट के जोखिम के कारण कम करें रेटिंग दी गई है। वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट का दबाव बना रहेगा, लेकिन गैस की कीमतों में निकट भविष्य में वृद्धि की संभावना है। ब्रेंट ऑयल का पूर्वानुमान 70 डॉलर प्रति बैरल पर बना रहेगा, जबकि एलएनजी बाजार 2027 तक तंग रहेगा और एलएनजी आपूर्ति केवल 2027 में ज्यादा होगी। इसके साथ ही चीनी अर्थव्यवस्था में चिंताओं और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ोतरी से परिवहन ईंधन की मांग में वृद्धि धीमी होने का अनुमान है।