एक साक्षात्कार के दौरान इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने बताया कि कैसे इंफोसिस का जन्म हुआ।
एनआर नारायण के अनुसार उन्होंने विप्रो (Wipro) में नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका चयन नहीं किया गया था।
जिसके बाद उन्होंने अपनी खुद की कंपनी बना ली और उसे नाम दिया इंफोसिस। आज के समय में आईटी उद्योग में विप्रो के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धियों में से इंफोसिस एक है।
अरबपति व्यवसायी ने शनिवार को साक्षात्कार में बताया कि बाद में विप्रो के पूर्व अध्यक्ष अजीम प्रेमजी ने कहा कि मुझे काम पर न रखने का निर्णय एक गलती थी।
उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मुझे विप्रो ने काम पर रखा होता, तो दोनों के लिए चीजें अलग-अलग होतीं।
बता दें 1981 में एनआर नारायण मूर्ति ने अपने छह दोस्तों के साथ 10,000 रुपये में इंफोसिस की स्थापना की थी। ये पैसे उन्होंने अपनी पत्नी और लेखिका सुधा मूर्ति से लिए थे।
12 जनवरी 2024 तक, इंफोसिस का मूल्य ₹6।65 लाख करोड़ और विप्रो का मूल्य ₹2।43 लाख करोड़ है।
Infosys से पहले एनआर नारायण मूर्ति ने सॉफ्ट्रोनिक्स नामक कंपनी शुरू किया थी। लेकिन ये कंपनी सफल नहीं रही और बाद में इसे बंद करना पड़ा।
मूर्ति ने बताया कि उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने इंफोसिस टीम का हिस्सा बनने की एक बार इच्छा जाहिर की थी।
लेकिन उन्होंने उसका समर्थन नहीं किया था, जो कि गलत था। वो हम सभी सातों से अधिक योग्य थीं। बता दें कि सुधा मूर्ति एक इंजीनियर भी हैं।
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