अयोध्या में मस्जिद मोहम्मद बिन अब्दुल्ला की आधारशिला अगले साल रखे जाने की संभावना है।
समारोह के लिए संतों, पीर एवं मौलवियों को आमंत्रित किया जाएगा। परियोजना से जुड़े लोगों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस मस्जिद के निर्माण का काम इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) को सौंपा गया है।
अयोध्या मस्जिद विकास समिति के अध्यक्ष हाजी अरफात शेख ने कहा कि जब मस्जिद अगले पांच से छह वर्षों में तैयार हो जाएगी, तो मक्का मस्जिद में नमाज का नेतृत्व करने वाले इमाम-ए-हरम सहित सभी देशों के शीर्ष मौलवियों को आमंत्रित किया जाएगा।
भाजपा नेता और महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष शेख ने कहा कि मस्जिद प्रतिष्ठित ताजमहल से भी अधिक सुंदर होगी। शेख ने कहा, हम आधारशिला रखने के लिए देशभर से संतों और पीरों को आमंत्रित करेंगे, जो अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है।
पैगंबर के नाम पर मस्जिद को मोहम्मद बिन अब्दुल्ला नाम दिया गया है। इसका निर्माण अयोध्या से 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर में एक अलग स्थान पर किया जाएगा।
यह भूखंड अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुसलमानों को दिया गया है।
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के अध्यक्ष और मुख्य ट्रस्टी जुफर अहमद फारूकी ने कहा, हम अगले साल मस्जिद की आधारशिला रखने की उम्मीद कर रहे हैं और हम समारोह के लिए देश भर से मौलवियों को आमंत्रित करेंगे।
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष फारुकी ने कहा, मस्जिद तैयार होने पर हम दुनिया भर से गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित करेंगे।
मस्जिद के अलावा मस्जिद विकास समिति ने वहां दंत चिकित्सा, कानून, वास्तुकला और अंतरराष्ट्रीय संबंधों जैसे विभिन्न विषयों के लिए समर्पित कॉलेजों की परिकल्पना की है।
शेख ने कहा कि इसके अलावा कैंसर के इलाज सहित दो अस्पताल खोले जाएंगे। साथ ही सभी धर्मों के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक शाकाहारी सामुदायिक केंद्र भी बनाया जाएगा।