होलाष्टक में इन 5 कार्यों से करें परहेज… उग्र ग्रहों के कारण नहीं मिलेगा फल

हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुआर होलाष्टक होली से 8 दिन पहले शुरू होता है. इस दौरान शुभ काम जैसे – शादी, सगाई, मुंडन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान पर प्रतिबंध रहता है. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान आशीर्वाद भी व्यर्थ हो जाते हैं. होलाष्टक की शुरुआत हर साल फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से हो रही है वहीं, इसका समापन 13 मार्च को होगा.

होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार होलाष्टक के दौरान सभी 8 ग्रह अशुभ हो जाते हैं, यदि इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य किए जाते हैं, तो उनमें बाधाएं आती हैं, साथ ही वे सफल नहीं होते हैं. वहीं दूसरी मान्यता है कि इन दिनों में भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था, जिससे प्रेम और सौहार्द का प्रतिनिधित्व करने वाले देवता की कमी से संसार में शोक का माहौल बन गया था. साथ ही, भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप द्वारा इन 8 दिनों में अनेक यातनाएं दी गई थीं. इसलिए, इन दिनों को अशुभ मानकर शुभ कार्यों से बचने की परंपरा है.

होलाष्टक में क्यों नहीं होते शुभ काम?
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव और कामदेव की कथा में यह वर्णित है कि शिव जी ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन अपनी तपस्या में बाधा डालने वाले कामदेव को भस्म कर दिया था. इससे रति (कामदेव की पत्नी) को गहरा दुःख हुआ, और उन्होंने शिव जी से अपने पति को फिर से जीवित करने की प्रार्थना की. रति के वियोग के कारण होलाष्टक के आठ दिन शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. वहीं प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा के अनुसार भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने इन 8 दिनों में अनेक यातनाएं दीं. . इसी वजह से इन कष्टकारी दिनों की याद में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है. वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है. इन दिनों में चंद्र, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु जैसे ग्रह शुभ प्रभाव नहीं देते, जिससे किसी भी शुभ कार्य के लिए अनुकूल समय नहीं होता है.

होलाष्टक में वर्जित है ये काम

    होलाष्टक के दिनों में शादी-विवाह नहीं होता. इसे अशुभ माना जाता है क्योंकि इन दिनों को संघर्ष और दुःख से जोड़ा जाता है.
    बच्चे के मुंडन जैसे संस्कार भी इन दिनों नहीं किए जाते हैं. इसे अशुभ फलदायी माना जाता है.
    नए घर में प्रवेश करने या घर से जुड़े किसी अन्य शुभ कार्य को इन दिनों करने से बचा जाता है.
    नए कारोबार की शुरुआत, दुकान खोलना, या किसी अन्य नए कार्य की शुरुआत होलाष्टक में वर्जित मानी जाती है.
    सगाई, नामकरण, या अन्य मांगलिक कार्य भी इन दिनों स्थगित कर दिए जाते हैं.
    हालांकि, इन दिनों में शुभ कार्य वर्जित हैं, लेकिन भक्ति, ध्यान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. भक्त इस समय भगवान विष्णु, शिव और होलिका की पूजा करते हैं.

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