भारत और मालदीव के बीच कई दिनों से संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं।
चीन समर्थित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने जब से चुनाव में जीत दर्ज की है, तभी से रिश्तों में खटास आ गई है।
पिछले दिनों जब पीएम मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया, तो मालदीव के तीन मंत्रियों ने अपमानजनक टिप्प्णियां कर दी। इस पर भारत को नाराजगी व्यक्त करनी पड़ी।
अब दोनों देशों में चल रहे टेंशन के बीच मालदीव सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।
उसने अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्त को लेकर ड्रोन खरीदने के लिए तुर्की के साथ एक समझौता किया है। अभी तक मालदीव और भारत हिंद महासागर में इस क्षेत्र में संयुक्त रूप से गश्त किया करते थे।
मालदीव के स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, माले ने तुर्की की कंपनी के साथ मिलिट्री ड्रोन्स को खरीदने के लिए एमओयू पर साइन किया है।
इसके जरिए मालदीव अपने जल क्षेत्र की निगरानी करेगा। इसके लिए बजट से मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स को 37 मिलियन डॉलर की रकम का आवंटन भी किया गया है।
यह डील तब हुई है, जब दो दिन पहले ही मालदीव ने भारत से अपने सैनिकों को 15 मार्च तक वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया था।
मालदीव में इस समय भारत के लगभग 88 सैनिक तैनात हैं, जोकि मालदीव के लोगों की ही मदद करते हैं।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन के करीब माने जाते हैं। चुनाव के दौरान भी मुइज्जू ने भारत विरोधी अभियान चलाया था और वादा किया था कि यदि उनकी सरकार बनने पर भारत के सैनिकों को मालदीव छोड़ना होगा।
जीत के बाद अब मुइज्जू ने 15 मार्च तक का समय दिया है। भारत से रिश्ते खराब होने के दौरान ही पिछले दिनों मुइज्जू ने चीन की भी यात्रा की थी।
पांच दिवसीय चीनी दौरे के दौरान मुइज्जू ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की और टूरिज्म समेत कई अहम समझौते किए।
दरअसल, कुछ दिनों पहले पीएम मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया था। इस दौरान भारत में सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने अपील की थी कि मालदीव की जगह लक्षद्वीप को पर्यटन स्थल के रूप में भारतीय चुनें।
कई सोशल मीडिया हैंडल्स से ऐसी अपील की गई थीं। इसके बाद मालदीव के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं, जिसके बाद तीनों को मालदीव सरकार ने सस्पेंड कर दिया था।
हालांकि, तब से भारत और मालदीव के रिश्तों में और खटास आ गई है।