दो साल में 59% कंपनियों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी, 33% मामलों में भ्रष्टाचार-घूस शामिल

भारत की करीब 59 फीसदी कंपनियां पिछले दो साल में वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुई हैं। इसमें खरीद संबंधित धोखाधड़ी सबसे ज्यादा देखी गई है। प्राइस वाटर हाउस कूपर (पीडब्ल्यूसी) के एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है। पीडब्ल्यूसी के वैश्विक आर्थिक अपराध सर्वेक्षण-2024 ने दुनियाभर के 2,446 कंपनियों के प्रमुखों की प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया। इसमें 91 कंपनियां भारत की थीं। सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि सभी आर्थिक अपराधों में से लगभग 33 फीसदी भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से संबंधित हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 50 फीसदी से अधिक उत्तरदाता शीर्ष पदों पर कार्यरत थे। इसमें निदेशक मंडल के सदस्य, मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ), प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल भारतीय कंपनियों के साथ पिछले 24 महीने में हुई वित्तीय धोखाधड़ी में वैश्विक औसत 41 प्रतिशत से 18 फीसदी अधिक है। इसी सर्वेक्षण के 2022 संस्करण के परिणामों की तुलना में सात फीसदी अधिक है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 50 फीसदी उत्तरदाताओं ने स्वीकारा है कि खरीद धोखाधड़ी अब भारतीय व्यवसायों के समक्ष बड़ी समस्या बन सकता है। इसके उलट वर्ष 2022 में ग्राहक धोखाधड़ी को 47 फीसदी व्यवसायों को भी शीर्ष सूची में रखा गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि करीब 34 फीसदी कंपनियां तीसरे पक्ष के वेंडरों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोधी ऑडिट नहीं करतीं। जबकि 24 प्रतिशत ने दो साल में ऐसा नहीं किया है। वहीं, 10 फीसदी ने कभी भी इस तरह का ऑडिट नहीं किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *