किसान एक बार फिर बड़े आंदोलन की तैयारी में नजर आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश के नोएडा में दलित प्रेरणास्थल पर शांति भंग करने के लिए गिरफ्तार किये गये संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को पुलिस ने बुधवार शाम को रिहा कर दिया. पुलिस ने मंगलवार शाम को करीब 160 लोगों की गिरफ्तार किया था हालांकि कई बुजुर्ग, महिलाओं और बीमार लोगों को जेल के गेट से मुचलके पर ही छोड़ दिया गया था. किसान नेता अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं और जेल से रिहा होने के बाद कई प्रदर्शनकारी यमुना एक्सप्रेसवे के 'जीरो प्वाइंट' पर जारी किसान पंचायत में शामिल हुए, जहां सभी ने धरना प्रदर्शन जारी रखने का निर्णय लिया. हालांकि किसान नेता बृहस्पतिवार सुबह फिर से ‘जीरो प्वाइंट’ पर इकट्ठा होकर बैठक करेंगे, जिसके बाद यह फैसला लिया जाएगा की धरना कहीं और शुरू किया जाए या फिर उसी जगह.
दूसरी तरफ किसान आंदोलन को लेकर एक बार फिर सरकारें एक्टिव हो गई हैं. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से किसानों के मुद्दों पर चर्चा की. इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों की मांगो लेकर संजीदा नजर आ रहे हैं. बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष को तलाड़ते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा था,'किसानों के मुद्दों पर मगरमच्छ के आंसू ना बहाएं.' उन्होंने आगे कहा,'नारेबाजी या फिर घड़ियाली आंसू बहाने से कुछ नहीं होगा. आप सिर्फ मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं और हल नहीं चाहते. किसान आपकी अंतिम प्राथमिकता है.'
इसके अलावा उपराष्ट्रपति ने पिछले दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री की मौजूदगी में एक प्रोग्राम में मंच पर संबोधन के दौरान तीखे सवाल पूछ लिए. जगदीप धनखड़ ने बहुत ही सख्त अंदाज में कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है. मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है. कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया.' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं. पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है. काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं.'
योगी सरकार भी एक्शन में
वहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी इस मामले पर तुरंत एक्शन लेते हुए 5 सदस्यीय कमेटी बना दी है. योगी सरकार ने किसानों की शिकायतों का हल निकालने के लिए बनई गई इस कमेटी को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है. जारी निर्देश के मुताबिक कमेटी को भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवादों के संबंध में किसानों की तरफ की गई शिकायतों की जांच करने का काम सौंपा गया है. यह 21 फरवरी, 2024 और 27 अगस्त, 2024 के पहले के सरकारी आदेशों में उजागर किए गए मामलों की भी समीक्षा और जांच करेगी.