भोपाल: भोपाल में आलमी तब्लीगी इज्तिमा शुरू हो गया है। 77वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा के तीसरे दिन सुबह से रात तक उलेमाओं की तकरीरों का सिलसिला जारी है। इन तकरीरों में तब्लीगी जमात के लोगों और मुसलमानों से खास तौर पर तालीम, भाईचारा, सामाजिक सौहार्द और अल्लाह (ईश्वर) की इबादत और फरमाबरदारी की अपील की गई। रविवार सुबह तक इस आयोजन में करीब 7 लाख लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें देशभर की जमातों के अलावा 24 विदेशी मुल्कों से आए मेहमान भी शामिल हुए। सोमवार सुबह होने वाली दुआ ए खास में करीब 12 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
आलमी तब्लीगी इज्तिमा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह इंसानी जिंदगी को बेहतर बनाने, समाज में भाईचारा कायम करने और सभी को धर्म के प्रति जागरूक करने का जरिया है। इसमें दुनियाभर के मुसलमान अपने अनुभव साझा करते हैं, जिससे उन्हें इस्लामी शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी को समझने का मौका मिलता है।
धर्म और सामाजिक सौहार्द की अपील
इज्तिमा में उलेमा ने इस्लामी शिक्षा और सामाजिक सुधार का संदेश दिया। मौलाना जमशेद साहब ने ईमान की ताकत, इस्लामी शिष्टाचार और धर्म के प्रचार-प्रसार के महत्व पर जोर दिया। मौलाना सईद साहब ने मुसलमानों से सामाजिक सुधार और इस्लामी नैतिकता अपनाने की अपील की। मौलाना साद साहब कांधलवी ने सामाजिक सौहार्द और इस्लामी एकता को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपनी कमियों को दूर कर आपसी एकता को बढ़ावा देना चाहिए।
खिदमत करने वालों की प्रेरणादायक कहानियां
इज्तिमा आयोजन के दौरान भोपाल के लोग मेहमानों की खिदमत में जुटे नजर आए। 93 वर्षीय मोहम्मद शम्मू, जो इज्तिमा की शुरुआत से लेकर आज तक खिदमत कर रहे हैं। वहीं, 77 वर्षीय मोहम्मद अख्तर पिछले 50 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन सेवाओं का उद्देश्य मेहमानों की सुविधा सुनिश्चित करना और उनकी इबादत में कोई खलल न पड़ने देना है।
जीवन में बदलाव का जरिया बनी तब्लीग
इस आयोजन में कई ऐसे लोग भी पहुंचे हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म की सेवा में समर्पित कर दिया है। 90 वर्षीय शमसुद्दीन ने 55 वर्षों तक जमातियों का हिस्सा बनकर अपना जीवन बिताया। हाजी अनवर उल्लाह खान, जो चिकित्सा विभाग से सेवानिवृत्त होकर तब्लीगी कार्य में लगे हुए हैं। और 8 वर्षीय मेहरान, जिसने पहली बार तीन दिवसीय जमात के साथ इज्तिमा का अनुभव किया।
समापन में होगी दुआ-ए-खास
सोमवार सुबह दुआ-ए-खास के साथ इज्तिमा का समापन होगा। दुआ का समय सुबह 9 बजे तय किया गया है। इसके बाद देशभर में करीब 2 हजार जमातें निकलेंगी, जो इस्लामी शिक्षा का संदेश लेकर अपने-अपने इलाकों में जाएंगी।
आयोजन की मुख्य बातें
इज्तिमा में भाग लेने वाले विदेशी समूहों को द्विभाषी और सांकेतिक भाषा के माध्यम से व्याख्यान का सार समझाया जा रहा है। भोपाल टॉकीज से इज्तिमागाह तक यातायात को नियंत्रित करने के लिए स्वयंसेवकों ने अपनी शिफ्टों का प्रबंधन किया। आयोजन से राजनीतिक गतिविधियों को पूरी तरह से दूर रखा गया, जिसके कारण इसे धार्मिक और सामाजिक आयोजन के रूप में देखा गया।
इज्तिमा के बाद शुरू होगा व्यापार मेला
समापन के बाद ताजुल मस्जिद परिसर में गर्म कपड़ों और सस्ते सामानों का एक बड़ा व्यापार मेला लगेगा। यह मेला सोमवार शाम से शुरू होगा और करीब दो महीने तक चलेगा। यह बाजार "रास्ते का माल सस्ते में" की तर्ज पर जाना जाता है और हर साल बड़ी संख्या में लोग यहां खरीदारी के लिए पहुंचते हैं।