रेलवे में लिनन प्रबंधन: यात्रियों को स्वच्छ और गुणवत्ता युक्त सेवाएँ प्रदान करने की पहल

बिलासपुर। रेलवे द्वारा वातानुकूलित (एसी) श्रेणी में यात्रा करने वाले यात्रियों को स्वच्छ, हाइजीनिक, अच्छी तरह से प्रेस (इस्त्री) किया हुआ और उच्च गुणवत्ता वाला लिनन प्रदान करने के लिए नवीनतम अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाता है, ताकि यात्री सुविधा एवं संतुष्टि में वृद्धि हो सके।

यात्रियों को स्वच्छ एवं उच्च गुणवत्ता वाला लिनन प्रदान करने के प्रयास को सुनिश्चित करने हेतु -उच्च गुणवत्ता वाले लिनन की खरीद, आधुनिक और यंत्रीकृत वाशिंग सुविधाएं,  यात्रियों के लिए बेड रोल्स के सेट को इको-फ्रेंडली पैकेजिंग में प्रस्तुत करना एवं  मजबूत और प्रभावी परिवहन के लिए बेहतर लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता है। 

भारतीय मानक ब्यूरो मानक विनिर्देशों के अनुसार

इसके साथ ही सभी लिनन सेट भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) मानक विनिर्देशों के अनुसार तैयार किए गए हैं। ट्रेनों के वातानुकूलित कोचों में हैंडलूम के उच्च गुणवत्ता वाले बेडशीट्स प्रदान की जाती हैं। लिनन के भंडारण के लिए डिपो और ट्रेनों में उपयुक्त स्थान निर्धारित किए गए हैं।
सभी लिनन प्रत्येक उपयोग के बाद धोए जाते हैं और उनकी स्थिति या आयु के अनुसार हटाए जाते हैं। कंबल कम से कम महीने में एक बार ड्राई-क्लीन किए जाते हैं। यात्रियों को बिना धोया या उपयोग किया हुआ कोई भी लिनन नहीं दिया जाता। प्रत्येक किट को इको-फ्रेंडली बैग (आकार- 30&42 सेमी) में पैक किया जाता है।

रेलवे के बिलासपुर और दुर्ग कोचिंग डिपो में क्रमश: 3 टन और 4 टन क्षमता वाली लॉन्ड्री यूनिट स्थापित किया गया  हैं, जहां पर न्यूनतम दो शिफ्ट में काम किया जाता हैं । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से प्रारंभ होने वाली ट्रेनों में प्रतिदिन लगभग 16,000 लिनन सेट लोड किए जाते हैं। भारतीय रेल के साथ ही दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे यात्री सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इस दिशा में, नई प्रौद्योगिकी, बेहतर लॉजिस्टिक्स और यात्री केंद्रित सेवाओं को निरंतर प्राथमिकता दी जा रही है।

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