दक्षिण भारत में ‘काली शर्ट और काली धोती’ पहनने की है अनोखी मान्यता, भगवान आयप्पा के लिए 41 दिन रखते हैं व्रत, जानें परंपरा

हाईटेक सिटी हैदराबाद शहर अपनी संस्कृति के लिए दुनियां भर में प्रसिद्ध है. हैदराबाद शहर में आपको काले कपड़े पहने लोग अधिक मिलेंगे, जो नंगे पांव रहते हैं, ये लोग ऐसे ही अपनी पसंद से काला कपड़ा नहीं पहनते हैं. इसके पीछे एक धार्मिक मान्यता होती है. इस पोशाक के कुछ संभावित कारण यहां दिए गए हैं. प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर की तीर्थयात्रा के दौरान जो आम तौर पर नवंबर और जनवरी के बीच मनाई जाती है. भक्त काले या मोरनी नीली धोती और शॉल पहनते हैं.

41 दिनों तक लोग रखते हैं व्रत

कि भगवान अय्यपा के लिए 41 दिन का व्रत रखा जाता है, जिसमे हम काले कपड़े पहनते हैं और चप्पल नहीं पहनते हैं. लोग नंगे पांव रहते हैं. इसके पीछे की मान्यता ये है कि केरल में अयप्पा पंथ में यह माना जाता है कि काले कपड़े पहनने वाले भक्त सबरीमाला जाते हैं. जहां भगवान अयप्पा रहते हैं. जहां 41 दिनों तक हम दिन में सिर्फ एक बार खाना खा सकते हैं, उसमे भी मांसाहारी व्यंजन का भोजन नहीं करना है. खाने में केवल दाल–चावल का सेवन सकते है. उपमा खा सकते हैं. जहां उन्हें तरह के खाने होते हैं. इस समय केवल पानी का सेवन कर सकते हैं.

41 दिनों की इस अवधि में उन्हें अच्छाई के कार्य का पालन करना होगा और मनशुद्धि, शरीर शुद्धि, वस्त्र शुद्धि, आहार शुद्धि, वाणी शुद्धि और ग्रह शुद्धि रखनी होगी. ऐसा कहा जाता है कि भगवान अयप्पा के दर्शन करने से पहले व्यक्ति को स्वयं अयप्पा बनना पड़ता है.

जानें कब से कब तक पहनते हैं काले कपड़े

उन्होंने बताया कि काली धोती प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के दर्शन के लिए लिए जाने वाले 41 दिनों के व्रत का एक हिस्सा है. यह प्रथा आमतौर पर नवंबर से जनवरी के बीच के महीनों में बड़ी संख्या में देखी जाती है. जहां स्वामी लोग काली या मोरनी धोती और शॉल पहनते हैं. ताकि आम लोगों के बीच उनकी पहचान हो सके.

ये है सांस्कृतिक परंपरा

दक्षिण भारत में कुछ समुदायों या परिवारों द्वारा काली शर्ट और धोती पहनना भी एक सांस्कृतिक परंपरा होती है. यह उनकी सांस्कृतिक पहचान को व्यक्त करने और उनकी विरासत के साथ संबंध बनाए रखने का एक तरीका होता है. यहां लोग काले या नीले रंग का इस्तेमाल करते हैं.

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