भोपाल । विजयपुर उपचुनाव में वन मंत्री रामनिवास रावत की हार और उनके इस्तीफे के बाद वन विभाग को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। वन मंत्रालय की अहमियत के चलते भोपाल से दिल्ली तक नेताओं के बीच लॉबिंग तेज हो गई है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि अब कैबिनेट विस्तार दिसंबर अंत या जनवरी में ही होने की संभावना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एक दिसंबर को विदेश यात्रा से लौटेंगे। इसके बाद ही कोई निर्णय होने की भी बात कही जा रही है। वन विभाग पहले मंत्री नागर सिंह चौहान के पास था। उनसे ही यह विभाग लेकर रावत को सौंपा गया था। अब नागर दोबारा वन मंत्री बनना चाह रहे हैं। वह कई जगह पर मीडिया को कह चुके हैं कि कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि मैं वन मंत्री बनूं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और संगठन जो जिम्मेदारी देगा, उसे निभाऊंगा।
सूत्रों के अनुसार, दिसंबर अंत या जनवरी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं। इसके अलावा निगम, मंडल, प्राधिकरण और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियों पर भी निर्णय होने की संभावना है। अमरवाड़ा से भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीतकर आए कमलेश शाह भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। चुनाव के दौरान भाजपा नेतृत्व ने उन्हें आश्वासन दिया था, इसके चलते शाह अपनी दावेदारी को लेकर सक्रिय हैं।
ये नेता भी लगा रहे जोर
वन विभाग के दावेदार नेताओं ने दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकातों का सिलसिला तेज कर दिया है। मंत्री नागर सिंह चौहान, विजय शाह समेत अन्य मंत्री और विधायकों के दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करने की चर्चा है। इसके अलावा मंत्री राकेश शुक्ला, गौतम टेटवाल, कृष्णा गौर के नाम की भी चर्चा है। वहीं, वरिष्ठ विधायक में गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और संजय पाठक भी मंत्री बनने के लिए जोर लगा रहे हैं।
इसलिए है वन विभाग की अहमियत ज्यादा
वन विभाग को प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है, क्योंकि इसमें वन संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा और पर्यावरणीय मंजूरी जैसे प्रमुख कार्य शामिल हैं। यह बजट के हिसाब से भी बड़ा है। करीब छह हजार करोड़ के बजट वाले विभाग में केंद्र सरकार से केंपा फंड और अन्य योजनाओं के तहत हर साल भारी बजट मिलता है, जिससे इसकी महत्ता और बढ़ जाती है।