भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश की अनुकूल नीतियां, विकसित अधोसंरचना और मेडिकल डिवाइस पार्क जैसी सुविधाएं राज्य को दवा कंपनियों और चिकित्सा उपकरण निर्माताओं के लिए फेवरेट इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बना रही हैं। जीआईएस-भोपाल में हेल्थकेयर, फार्मा और मेडिटेक क्षेत्र की संभावनाओं पर व्यापक चर्चा हुई।
विशेषज्ञों ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मध्यप्रदेश चिकित्सा उपकरण निर्माण का प्रमुख केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। उज्जैन में विकसित हो रहे 75 एकड़ के मेडिकल एवं फार्मास्यूटिकल पार्क को मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वैश्विक निवेशकों के लिए ‘बेस्ट डेस्टिनेशन’ करार दिया।
‘मॉलिक्यूल टू मशीन’ अवधारणा से आगे बढ़ता मध्यप्रदेश –
जीआईएस-भोपाल में आयोजित ‘मॉलिक्यूल्स-टू-मशीन (हेल्थकेयर, फार्मा, मेडिटेक)’ सत्र के दौरान, विशेषज्ञों ने इस अवधारणा पर चर्चा करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश दवा निर्माण से लेकर चिकित्सा उपकरण उत्पादन तक पूरे हेल्थकेयर इको सिस्टम को मजबूत कर रहा है। राज्य में फार्मास्युटिकल कंपनियों, एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) निर्माण इकाइयों और मेडिकल डिवाइस विनिर्माण में तेजी से वृद्धि हो रही है।
मेडिकल डिवाइस पार्क में बढ़ता निवेश –
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के समन्वयक श्री राजीव छिब्बर ने बताया कि उज्जैन स्थित विक्रम उद्योग नगरी में विकसित हो रहे मेडिकल डिवाइस पार्क में 23 विनिर्माताओं ने निवेश करने की पुष्टि की है। सरकार की नई औद्योगिक नीति के तहत दी जा रही रियायतों और सुविधाओं के कारण निवेशकों की इकाइयां स्थापित करने की लागत काफी कम हो रही है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिल रहा है।
मेडिकल टेक्सटाइल में अपार संभावनाएं –
जीआईएस-भोपाल के शुभारंभ संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश को ‘मेडिकल टेक्सटाइल्स’ का प्रमुख केंद्र बताया। सर्जिकल गाउन, मास्क, पीपीई किट, सैनिटरी नैपकिन और अन्य उत्पादों के निर्माण में राज्य की अहम भूमिका को रेखांकित किया गया। कोविड महामारी में भारत ने मास्क और पीपीई किट के उत्पादन में वैश्विक पहचान बनाई थी, जिसे मध्यप्रदेश आगे बढ़ा रहा है।
ध्यप्रदेश, प्रमुख फार्मास्युटिकल राज्यों में शामिल –
मध्यप्रदेश देश के प्रमुख फार्मास्युटिकल राज्यों में से एक है। वर्तमान में प्रदेश में 270 से अधिक फार्मा कंपनियां कार्यरत हैं, जिनमें से 80 से अधिक पीथमपुर में स्थित हैं। राज्य में निर्मित दवाइयां 160 से अधिक देशों में निर्यात की जा रही हैं। प्रमुख निवेशकों में सनफार्मा, सिप्ला, लुपिन, एल्मेंबिक, टॉरेंट फार्मा और एल्केमिस्ट जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं।
हरसंभव सहायता और तय समय में मंजूरियाँ –
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार फार्मा और मेडिकल उपकरण कंपनियों को निवेश के लिए हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है। सरकार की ओर से लाइसेंस प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। लोक सेवा गारंटी अधिनियम में सभी आवश्यक मंजूरियां तय समय में सुनिश्चित की जा रही हैं।
17 हजार करोड़ का निवेश और 49 हजार रोजगार सृजन –
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के प्रयासों के कारण इस जीआईएस-भोपाल में निवेशकों ने इस सेक्टर में 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्रस्ताव प्रस्तुत किए। इससे लगभग 49 हजार नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और चिकित्सा शिक्षा संस्थानों की संख्या में वृद्धि से प्रदेश में चिकित्सा सुविधाएं और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे।
प्रदेश के फार्मा उद्योग को मिली ग्लोबल पहचान –
जीआईएस-भोपाल में मध्यप्रदेश के फार्मा, हेल्थकेयर और चिकित्सा शिक्षा इन्फ्रास्ट्रक्चर की क्षमताओं का परिचय देश-विदेश के निवेशकों को मिला है। इससे यहाँ निवेश संभावनाओं को ग्लोबल पहुंच मिली है। भविष्य में प्रदेश को भारत में ही नहीं विदेश में भी इस सेक्टर में आदर्श निवेश स्थल की पहचान मिलेगी।
मध्यप्रदेश के फार्मास्युटिकल सेक्टर में एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है, 270 से अधिक दवा निर्माता कंपनियां और 250 से अधिक फार्मेसी संस्थान सक्रिय हैं, 160 से अधिक देशों में दवाइयों का निर्यात किया जाता है, 39 एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) निर्माण की इकाइयां स्थापित हैं, राज्य के कुल निर्यात में 25% फार्मा उद्योग की हिस्सेदारी है और 5 वाणिज्यिक हवाई अड्डे और 6 अन्तर्देशीय कंटेनर डिपो उद्योग समूहों की सुविधा के लिये उपलब्ध हैं।
मध्यप्रदेश में ग्लोबल-इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी –
जीआईएस-भोपाल में 300 से अधिक उद्योग जगत के दिग्गज, नीति निर्माता और स्वास्थ्य विशेषज्ञ एक मंच पर आए, जहां भारत के हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर में नवाचार और निवेश के अवसरों पर विचार-विमर्श किया गया। मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों से राज्य न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर फार्मा और मेडिकल डिवाइस निर्माण का नया केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है।