दिल्ली पुस्तक मेला: विदेशों से जुड़ी किताबें बन रही हैं भारतीय युवाओं की पहली पसंद

दिल्ली। दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में विदेशी प्रकाशक किताबों के विविध संग्रह पेश कर रहे हैं, लेकिन पुस्तक मेले में आने वाले अधिकतर लोग विदेशी संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानना चाहते है। इस कारण यात्रा और संस्कृति से जुड़ी किताबों को पढ़ने और खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इसके अलावा पाठक इन विधाओं को सीखने में मददगार किताबों को भी अधिक खरीद रहे है, वहीं मेले में अलग से लेखक कोना भी बनाया गया है। इसका उद्देश्य विभिन्न भाषा और उम्र के लेखकों को एक मंच पर लाना और एक-दूसरे के बीच मेलजोल को बढ़ावा देना है। फ्रांस, जर्मन, रूस, नेपाल और अरब सहित विदेशों की संस्कृति और यात्रा पर आधारित कई किताबें उपलब्ध हैं, जिन्हें पढ़कर युवा विदेशी संस्कृति के बारे में गहराई से जान सकते हैं। 

उच्चारण सीखने के लिए किताबों की भरमार
दूसरा इनमें ओ और ए का सही उच्चारण सीखने के लिए भी विदेशी स्टाल पर कई किताबें मौजूद हैं। लेखकों ने भी पाठक वर्ग को देखते हुए सीखने के लिहाज से हर स्तर को ध्यान रखकर किताबें प्रकाशित की हैं। इनमें सीखने की शुरुआत करने वालों के लिए चित्रात्मक किताबों से लेकर विद्वानों के लिए उपन्यास तक शामिल है। जर्मन बुक स्टाल की प्रबंधक ने बताया कि अधिकतर खरीदार माता-पिता के साथ आ रहे हैं और उनके माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे छोटी उम्र से ही जर्मन सीखना शुरू कर दें।

उभरते लेखक बारीकी से ज्ञान प्राप्त कर रहे 
मेले में लेखक कोना बनाने का उद्देश्य सभी वर्ग के लेखकों को एक मंच पर लाना और एक-दूसरे के बीच मेलजोल को बढ़ावा देना है। अनुभवी लेखकों से नए उभरते लेखक नई रचना लिखने के लिए नए विषयों के साथ रचनाओं, रसों और शब्दों के बारे में भी बारीकी से ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।

ओलंपियाड में बच्चों ने लिया हिस्सा 
विश्व पुस्तक मेले के दूसरे दिन रूस स्टाल पर रूसी भाषा ओलंपियाड पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें आठ से 15 वर्ष के बच्चों ने भाग लिया। इसमें रूस के लेखकों ने बच्चों से प्रश्न पूछे। प्रतियोगिता खत्म होने पर बच्चों को सर्टिफिकेट भी दिया गया।

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