पार्वती, चंबल और कालीसिंध पर एक साथ बनेंगे 21 बांध

भोपाल । मप्र-राजस्थान जल बंटवारे की परियोजना में अब मप्र सारे 21 बांध-बैराज एक ही चरण में बनाएगा। परियोजना से मप्र में 6 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि सिंचित होगी। केंद्र के सुझाव के मुताबिक से बांध दो चरणों में बनने थे। मप्र ने केंद्र से बातचीत करके सारे बांध एक ही चरण में पारित करा लिए हैं। योजना के लिए पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदियों को ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी-पीकेसी) प्रोजेक्ट के लिए मप्र की डीपीआर भी तैयार है। केन-बेतवा के बाद देश की दूसरी रिवर लिंकिंग परियोजना होगी।मप्र और राजस्थान जल्द पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदियों को ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के फाइनल समझौता (एमओए) नवंबर के महीने में होना था पर कई राज्यों में चुनाव की वजह से आगे बढ़ गया। केंद्र और दोनों राज्य दिसंबर के दूसरे हफ्ते में समझौते पर दस्तखत कर सकते हैं। जनवरी 2024 में केंद्र के साथ दोनों राज्यों ने देश की अब तक की दूसरे रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किए थे। मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट यानि समझौते पर दस्तखत होते ही दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर हुए विवाद का अंत हो जाएगा। समझौता नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में होगा। जल संसाधन विभाग के मुताबिक मप्र में 30000 -35000 करोड़ के काम आ सकते हैं।

जनवरी में हो चुकी है दोनों राज्यों की सहमति
डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए 28 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री और दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में मप्र-राजस्थान और केंद्र के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए थे। केंद्र दोनों राज्यों को उनके अंश का 90 फीसदी अनुदान देगा जबकि राज्यों को 10 फीसदी बजट देना है। मप्र का शेयर लगभग 3500 -4000 करोड़ होने का अनुमान है। कुल लागत 45000 करोड़ होने का अनुमान है। मप्र की डीपीआर लगभग तैयार हो चुकी है। इस एग्रीमेंट में प्रोजेक्ट में क्या-क्या काम होने हैं, जल बंटवारे की डिटेल, जल का लेन-देन, लागत, योजना के लाभ शामिल हैं।

6.15 लाख हेक्टेयर बढ़ेगा सिंचाई का रकबा
इस प्रोजेक्ट से मप्र को 6.15 लाख हेक्टेयर सिंचाई सुविधा मिलेगी। वर्तमान में मप्र में कुल 110 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित है। इसमें से लगभग 51 लाख हेक्टेयर सिंचित भूमि है जबकि बाकी में भू-जल और अन्य स्रोतों का उपयोग होता है। मोहन सरकार ने 5 साल में सिंचाई सुविधा वाली कृषि भूमि को 100 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा है। योजना से मालवा-चंबल के 13 जिलों में पेयजल -सिंचाई सुविधा मजबूत होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *