संकट में हसीना………………….18 नवंबर को कोर्ट में जाहिर हो 

ढाका। बांग्लादेश हिंसक विरोध के बाद देश से भागकर भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की टेंशन बढ़ गई है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने ऐसा कदम उठाया है कि हसीना को भारत छोड़कर बांग्लादेश जाना पड़ सकता है। इंटरनेशनल क्राइम ट्रीब्यूनल (बांग्लादेश) ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। यह ट्रिब्यूनल उनके खिलाफ इसी साल के छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा और नरसंहार को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कोर्ट ने हसीना को 18 नवंबर को पेशी का आदेश दिया है। 
दरअसल अभियोजन पक्ष ने हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हत्याओं में कथित रूप से शामिल 50 अन्य लोगों के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट का अनुरोध किया है। ट्रिब्यूनल को अब तक निर्वासित नेता और उनकी पार्टी के सहयोगियों के खिलाफ जबरन गायब करने, हत्या और सामूहिक हत्याओं की 60 शिकायतें मिल चुकी हैं। हसीना के 15 साल के शासन में व्यापक मानवाधिकार हनन देखने को मिले, जिसमें उनके राजनीतिक विरोधियों को बड़े पैमाने पर हिरासत में लेना और उनकी हत्याएं शामिल हैं। 

शेख हसीना जब बांग्लादेश की सत्ता में आई थी, तब आरक्षण को लेकर देशव्यापी आंदोलन शुरू हुआ था। सरकारी नौकरियों की कमी से परेशान छात्र, एक इसतरह का कोटा को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जो 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन देता था।  बता दें कि अगस्त में ही हसीना के प्रत्यर्पण की मांग हो रही थी। बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने मुकदमा चलाने के लिए भारत से कई मौको पर हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की थी। लेकिन अब इंटरनेशनल क्राइम ट्रीब्यूनल (बांग्लादेश) के हसीना के गिरफ्तारी वारंट और केस चलाने के आदेश पर भारत या फिर बांग्लादेश क्या फैसला लेता। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *